Shri Premanand ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन का जीवन परिचय जान आप रह जाएंगे हैरान, यहां पढ़ें इनकी जीवनी
ऐसा माना जाता है कि प्रेमानंद महाराज ने वृंदावन आने के बाद महाराज जी श्री चैतन्य महाप्रभु की लीलाएं देखते थे और रात को रासलीला देखते थे . इसके बाद उनके जीवन में परिवर्तन आया. उन्होंने सन्यास त्याग कर भक्ति के मार्ग को चुन लिया.
ऐसा माना जाता है कि महाराज जी को राधा वल्लभ मंदिर में स्वयं राधा जी को ही निहारते रहते थे. महाराज जी राधा बल्लभ संप्रदाय में जाकर शरणागत मंत्र ले लिया. कुछ दिनों बाद महाराज जी अपने वर्तमान के सतगुरु जी को मिले. महाराज जी ने अपने गुरु की 10 साल तक सेवा की और बड़े से बड़े पापी को भी सत्य की राह पर चलने के लिए मजबूर कर दिया.
महाराज प्रेमानंद जी के दर्शन करने के लिए उनके भक्त देश-विदेश से वृंदावन आते है, और उनका बहुत सम्मान भी करते हैं. उन्होंने अपना जीवन राधा रानी की भक्ति सेवा के लिए समर्पित कर दिया.
बचपन का नाम | अनिरुद्ध कुमार पांडे |
जन्मस्थल | सरसो, कानपुर, उत्तरप्रदेश |
घर का त्याग | 13 वर्ष की आयु में |
महाराज की उम्र | लगभग 60 वर्ष |
महाराज के गुरु | श्री गौरंगी शरण जी महाराज |